लेने के लिए मान लोग लड़ते नहीं थकते
कुछ बिरले ऐसे भी हैं, जो देने के लिए जीते हैं
कुछ छत्त पर पहुँचने को
रहते हैं सदा परेशान
कुछ बन कर के औरों की सीढ़ी
सदा छत्त पर रहा करते हैं
कुछ धरती के हो कर
धरती पर नहीं टिकते
कुछ धरती के नीचे रह
धरती से होते हैं
कुछ पा कर के सब सुख
खुश हो नहीं पाते
कुछ सुख दे कर औरों को
हँसते हैं, गाते हैं
दे दे के औरों को
वोह कैसे हैं सबसे छोटे
जब औरों से सब पाकर
कुछ बड़े कहलाते हैं
"ह्रदय" देने से धन और दौलत
चुकता नहीं कर्जा इनका
मान दे दे जो दिल से
वोह बराबर कहलाते हैं
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