Monday, October 3, 2011

पथ पर खुद चलना होगा

हर दिया पथ रोशन करता,
जीवन को ज्योति करना होगा
हर पथ प्रभु तक पहुंचाता
पथ पर खुद चलना होगा

पथ की खोज मै पथिक भटकता
पथ जो मन के अन्दर है
मन झांके मन के भीतर
इक मंदिर मन के अन्दर है
उस मंदिर मै लौ को जलने
खुद का मंथन करना होगा
हर पथ प्रभु तक पहुंचाता....


पथ में भटक गए जो फिर
"ह्रदय"पथ लक्ष्य से बड़ा हुआ
मानव से धरम, धरम से पंथ
अहम् पंथ से बड़ा हुआ
बड़ा हुआ ये ठूंठ मूल से
संचारित मूल से करना होगा
हर पथ प्रभु तक पहुंचाता....

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