आभार तुम्हारा मात सरस्वती
मुझे गुरु का मान दिया है
वाणी ज्ञान की भिक्षा दे कर
मुझे सेवा का वरदान दिया है
गुरु की महिमा गाई वेदों ने
बड़ा देवों से सम्मान दिया है
मानव जीवन बन पुष्प वह महके
मुझे माली का काम दिया है
सुविचारों के अंकुर नित फूटें
तेरी महिमा का गुणगान किया है
व्यवहार करूं जो दर्पण हो सबका
तुमने बल संस्कारों का मुझको दिया है
ज्ञान बने न अभिमान कभी यह
श्री कृष्ण को सब में प्रणाम किया है
रूप, कर्म और जीवन शैली से
सब मानव का सम्मान किया है
माँ गुरु बनाया तेरी कृपा ने
"ह्रदय" पल पल तुमको प्रणाम किया है
आचार करे जो दे मान गुरु को
झोली फ़ैला, तुमसे माँ मांग लिया है
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