जब शाम घनी हो, अंधेरों में होड़ लगी हो
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
अंधियारों में थम ना जाना, कदमों को मार्ग मिलेगा
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
सुर्य भी जाने राह दिखाना, रह दिया भी रोशन करेगा
आसमान का आभास करके, कंकर महल बनेगा
जब बुझ जाये लौ आशा की, महल भी कंकर बनेगा
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
उठ जाना जुट जाना, केवल कर्मों से मार्ग मिलेगा
ना अपेक्षा, ना उपेक्षा, चिंतन से कर्म मिलेगा
"ह्रदय" सांसों का तार ये तेरा, तब ही साथ चलेगा
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
अंधियारों में थम ना जाना, कदमों को मार्ग मिलेगा
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
सुर्य भी जाने राह दिखाना, रह दिया भी रोशन करेगा
आसमान का आभास करके, कंकर महल बनेगा
जब बुझ जाये लौ आशा की, महल भी कंकर बनेगा
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
उठ जाना जुट जाना, केवल कर्मों से मार्ग मिलेगा
ना अपेक्षा, ना उपेक्षा, चिंतन से कर्म मिलेगा
"ह्रदय" सांसों का तार ये तेरा, तब ही साथ चलेगा
इक संयम का दिया जलेगा, इक सहस काम करेगा
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