Monday, October 3, 2011

मकसद - वों पाएं जिंदगानी

मेरे जीवन के मकसद, मेरे जीवन की राहें
मेरी जीवन की निशानी

वोह पाएं अपनी खुशियाँ, वोह पाएं अपने सपने

वोह पाएं जिंदगानी

मेरे विचारों की मंजिल, मेरी सोच की शक्ति
मेरे कुछ पाने की पहचानी

वोह पाएं जिंदगानी

मेरे चेहरे का खिलना, मेरे पैरों की थिरकन

मेरी आंखों की रवानी

वोह पाएं जिंदगानी

मेरे मन की भावुकता, मेरे सिमरन की ख्वाईश

मेरी पूजा की पहचानी

वोह पाएं जिंदगानी

"हरिसे" बहता हुआ दरिया, जीवन गहराता हुआ सागर
हर बूंद है पानी
वोह पाएं अपनी आशा, बुझायें अपनी पिपासा

वों पाएं जिंदगानी






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