आओ दुखों का व्यापार करें
भूकंप बाढ़ आह्वान करें
सरकार हमारी सांझी होगी
जलजलों प्रकोपों का ध्यान करें
पांचों अंगुली घी मै होगीं
सिर कढाई में होगा
ठेके बटेंगें रस्ते बनेंगें
हर खज़ाना फिर अपना होगा
रोटी बोटी छत्त चादर
सभी बिकाऊ होंगें
टकसाल लगेगी धन बरसेगा
मानवता के व्यापारी होंगे
"ह्रदय" व्यापारी बहुत बड़े हैं
व्यापारी की शान बड़ी
बिन कंटक रहे जीवन इनके
बिन सांसों के जीवन की कड़ी
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