मैं बहुत दिन घर से दूर रहा
फिर भी घर के पास रहा
मान प्रेम बहुत मिला सब से
हर वास्तु का आराम मिला
जगते ही आँखें तुम सामान दिया
सोने तक सबका आराम किया
हर आवाज़ पर तुम दौड़े आये
भाई सा मेरा सम्मान किया
सब मानें है सुख में ईश्वर
सुख देने वाले को फ़रिश्ते कहें
"ह्रदय" आभार तुम्हारा मन से करें
तुम दोनों का ही काम किया
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