Tuesday, October 4, 2011

आ खोजें अब जमीं नईं

जब लड़ रही थी किश्ती मेरी,लहरों से, तुफानों से,
भंवर भी साथ हो लिए,आसमान भी रो दिए

कड़क रही थी बिजली यों, दीखाने को रास्ता ज्यों
हवा चली मदद को जों, खो गया मैं रास्ता त्यों

अंधेरों का मैंने साथ लिया, होंसलों को ना खोने दिया
नाव थी नाज़ुक बहुत, साथ उसने दिया बहुत 

उमीदों की नाव थी, कोशिशों के साथ थी
कर रहे थे अपने दुआ, अरमानों की वोह नाव थी

"ह्रदय' पा गया जीवन नया, हो गया सवेरा नया
अब अगले सफर को तैयार हूँ, तुफानों में आवाज़ हूँ
कदमों में ताक़त नईं, आ खोजें अब जमीं नईं

No comments:

Post a Comment