Tuesday, October 4, 2011

माँ की गोद

नन्ही अंगुली थामे बचपन की
बड़े कदमों को जीवन में भरता हूँ l
नन्ही बूंदों में ज्ञान सागर सा
जीवन में नए रंग मैं भरता हूँ ll
गिरता भी हूँ, संभालता भी हूँ
कभी ख़ुद से बातें करता हूँ l
नयनों में नीर, अधरों पे मुस्कान
यूँ इन्द्रधनुष सा दिखताहूँ ll
"ह्रदय " खुशियाँ देते पल बचपन के सब
सब तेरे ही आँचल से माँ लेता हूँ l
माँ सब सुखों से तेरी गोदी प्यारी
तेरे चरणोँ से ज्ञान सब लेता हूँ ll

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