मिट्टी से उपजा ये अन्न
मिट्टी की खात्तिर ये अन्न
मिट्टी ही अन्न का निरादर करती
मिट्टी मिट्टी मै मिलाती है अन्न
प्राण संचार करता है अन्न
प्राण बन मिट्टी में रहता है अन्न
प्राण मिट्टी में जब तक रहते
प्राणोँ को भटकता अन्न
प्रकृति का उपहार है अन्न
प्रकृति का उपकार है अन्न
प्रकृति का जो मान न रखते
प्रकति ही सुखाती है फिर यह अन्न
"ह्रदय" जो वोह जाने है अन्न
मनुख जो है वोह माने है अन्न
मनुख बढाई मानवता की अन्न
मनुख कमी कर्मों की है अन्न
मिट्टी की खात्तिर ये अन्न
मिट्टी ही अन्न का निरादर करती
मिट्टी मिट्टी मै मिलाती है अन्न
प्राण संचार करता है अन्न
प्राण बन मिट्टी में रहता है अन्न
प्राण मिट्टी में जब तक रहते
प्राणोँ को भटकता अन्न
प्रकृति का उपहार है अन्न
प्रकृति का उपकार है अन्न
प्रकृति का जो मान न रखते
प्रकति ही सुखाती है फिर यह अन्न
"ह्रदय" जो वोह जाने है अन्न
मनुख जो है वोह माने है अन्न
मनुख बढाई मानवता की अन्न
मनुख कमी कर्मों की है अन्न
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