Monday, October 3, 2011

अन्न

मिट्टी से उपजा ये अन्न
मिट्टी की खात्तिर ये अन्न
मिट्टी ही अन्न का निरादर करती
मिट्टी मिट्टी मै मिलाती है अन्न

प्राण संचार करता है अन्न
प्राण बन मिट्टी में रहता है अन्न
प्राण मिट्टी में जब तक रहते
प्राणोँ को भटकता अन्न

प्रकृति का उपहार है अन्न
प्रकृति का उपकार है अन्न
प्रकृति का जो मान रखते
प्रकति ही सुखाती है फिर यह अन्न

"ह्रदय" जो वोह जाने है अन्न
मनुख जो है वोह माने है अन्न
मनुख बढाई मानवता की अन्न
मनुख कमी कर्मों की है अन्न

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