Monday, October 3, 2011

वोह बचपन के लहराते पल

जीवन तृप्त कर जाते हैं
याद आते जब बीते पल
प्राणोँ को प्राणोँ मै भरते
प्राणोँ के एहसास के पल

वोह बचपन के लहराते पल
निर्मल निश्छल महकाते पल
पल जिनकी परिभाषा थी
जीवन की परिभाषा के पल

खामोश भी थे, चंचल भी थे
हर आशा की पहचान थे वह पल
वो पल जिनमें सब सच्चा था
इस जीवन के सच्चे वो पल

सब अपने थे, आंखों में सपने थे
आंखों के सपने थे वो पल
वो जिनमें यह जग पूरा था
"ह्रदय" जग को पूरा करते वो पल


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