जीवन तृप्त कर जाते हैं
याद आते जब बीते पल
प्राणोँ को प्राणोँ मै भरते
प्राणोँ के एहसास के पल
वोह बचपन के लहराते पल
निर्मल निश्छल महकाते पल
पल जिनकी परिभाषा न थी
जीवन की परिभाषा के पल
खामोश भी थे, चंचल भी थे
हर आशा की पहचान थे वह पल
वो पल जिनमें सब सच्चा था
इस जीवन के सच्चे वो पल
सब अपने थे, आंखों में सपने थे
आंखों के सपने थे वो पल
वो जिनमें यह जग पूरा था
"ह्रदय" जग को पूरा करते वो पल
याद आते जब बीते पल
प्राणोँ को प्राणोँ मै भरते
प्राणोँ के एहसास के पल
वोह बचपन के लहराते पल
निर्मल निश्छल महकाते पल
पल जिनकी परिभाषा न थी
जीवन की परिभाषा के पल
खामोश भी थे, चंचल भी थे
हर आशा की पहचान थे वह पल
वो पल जिनमें सब सच्चा था
इस जीवन के सच्चे वो पल
सब अपने थे, आंखों में सपने थे
आंखों के सपने थे वो पल
वो जिनमें यह जग पूरा था
"ह्रदय" जग को पूरा करते वो पल
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