Tuesday, October 4, 2011

पंछी

गगन में फर फर करते पंछी
सन्देश नया कोई गा रहे हैं
बिना डगर मंजिल को निहारे

मदमस्त ये उड़ते जा रहे हैं

सूरज की गर्मी से ना डरते

बादल की गर्जन से ना टलते

पवन ये बाहें भर भर लेती

गीत मिलन के गा रहे हैं

सोच नहीं है कोई कल की
जीवन आज में बिता रहे हैं

दाना चुन कर दूर दूर से
घरों को वापिस जा रहे हैं

दिन भर दाना चुनते रहते

श्रम से "ह्रदय" कभी ना टलते

एक वृक्ष एक डाल पर रह कर
रहना मिल कर सिखा रहे हैं


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