Saturday, December 8, 2012

कोशिश में हूँ

कुछ पल आपके संग,
 बिताने की कोशिश में हूँ 
भाव अपने मन के, पहुँचाने की कोशिश में हूँ
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 

ये बन गए हैं शब्द
 जो कुछ एक पल में 
भाव ये जीवन भर के, बताने की कोशिश में हूँ 
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 

न रिश्तों की है समझ  मुझको 
न व्यवहार की तर्ज़ है 
अश्रु और मुस्कान को, मिलाने की कोशिश में हूँ 
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 

न जानता हूँ रीत कोई, 
न रिवाजों की परवाह मुझे 
सरल हैं मन के भाव जो, सरिता बनाने की कोशिश में हूँ 
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 

हर बीतता हुआ पल,
ज़िन्दगी बन जाने को है 
इस बनती हुई ज़िन्दगी में, आने की कोशिश में हूँ 
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 

इस पल में हो रहा इक, 
यह जीवन मेरा तुम्हारा 
इस एकीकरण के गर्व का, जश्न मनाने की कोशिश में हूँ 
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 


न एकीकरण में जुर्रत,
बराबरी की कोई मेरी 
गिरती हुई बूंद को, सागर बनाने की कोशिश में हूँ
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 

'हृदय' तस्वीर जो स्नेह, आभार और आदर की 
संजो रखी है अंतर में 
इन्द्रधनुष सी उस छवि को, दिखने की कोशिश में हूँ 
कुछ पल आपके संग, बिताने की कोशिश में हूँ 






Tuesday, November 27, 2012

मेरी ज़िन्दगी

मेरी ज़िन्दगी मेरी हकीकत से अलग चल रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है 

कभी बढ़ता हुआ वेग हिचकोलों संग डराता है 
कभी हौंसला चट्टानों से टकराता है 
है गहराई का पता नहीं चलता 
हर किनारा अजनबी हो जाता है 
अंधेरों में भी बढती रही है, 
सूर्य की किरणों संग चल रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है 

मेरी हकीकत मेरे सपनों में पलती है 
कर्मों की खेती में बीज सी फलती है 
आशा कोशिशों को संग में रखती है 
उत्साह और लगन के रंगों में रंगती है 
नयन, अश्रु और मन के सहारे 
मंजिलों पर टीकी रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है

सबक पिछले साथ सारे 
'हृदय' अनुभव नए हो रहे हैं 
सजगता, संयम, प्रकृति 
मन के विश्वास हो रहे हैं 
ज़िन्दगी आज कल का परिचय 
कल का परिचय लिख रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है


Monday, November 5, 2012

नतमस्तक हूँ तुमको नारी

नतमस्तक हूँ तुमको शक्ति ,
नतमस्तक हूँ तुमको नारी। 
जननी भी तू, सहचरी भी तू,
तू बहिन और बेटी हमारी ।।

बदलते हुए परिवेश में तूने, सदा हमको- खुदको बदला ।
स्नेह, त्याग और ममता - दया तू, ज्योति रूप तू सबला ।।
घर-आँगन की तू ही आधारा, 
पहचान समाज की सारी ।
नतमस्तक हूँ तुमको शक्ति ,
नतमस्तक हूँ तुमको नारी।।
 
बचपन यौवन प्रौढ बुढ़ापा, तू  सबका परिचय बन जाती है ।
पीड़ा-हर्ष की सिरहन तू ही, तू ही अंतर समझाती है ।।
 कर्णों के सरगम हैं तुमसे , 
पहचान श्रृंगार की सारी ।
नतमस्तक हूँ तुमको शक्ति ,
नतमस्तक हूँ तुमको नारी।।
 
धरती भी तू है, प्रकृति तू है, कसौटी व्यवहार की तू है  ।
मुस्कान भी तू, अश्रु भी तू ही, गरिमा समाज की तू है ।।
राह पुरुष के पौरुष की तू, 
बिन तेरे 'हृदय' ना संसारी । 
नतमस्तक हूँ तुमको शक्ति ,
नतमस्तक हूँ तुमको नारी।।

Thursday, September 27, 2012

यूँ बड़ा ना होना चाहता था

बाबा मुझको बड़ा यूँ कर गए, यूँ बड़ा ना होना चाहता था
प्राणों में बसता था तुम्हारे, यूँ निष्प्राण ना होना चाहता था 

थम जाता हूँ पग धरता मैं 
गिरते को कौन अब थामेगा 
करूँगा विस्मित किसको अब मैं 
अब गर्व से  कौन हर्षालेगा 
भरे-पूरे मैं इस जीवन में, यूँ खाली ना होना चाहता था 
प्राणों में बस्ता था तुम्हारे, यूँ निष्प्राण ना होना चाहता था 

बंद हैं करली आँखें तुमने 
 पर बंद आंखों में रहते हो 
जीवन के सब अर्थ - धर्म में 
आदर्श तुम बनके रहते हो 
'हृदय'निभाऊं फ़र्ज़ मैं सारे, पर यूँ ना निभाना चाहता था 
प्राणों में बस्ता था तुम्हारे, यूँ निष्प्राण ना होना चाहता था





Thursday, July 26, 2012

पर यादों में तंग ना होना

कुछ तो गुंजाईश रख लेना जब भी अलविदा कहना 
मिलने की बात चाहे न हो पर यादों में तंग ना होना 

कभी बढते सफ़र में ख़ुशी, कभी गम ने साथ दिया होगा 
कभी उम्मीद हुई होगी पूरी कभी निराशा ने दामन भरा होगा 
न जाने कितने बने रिश्ते कितनों ने साथ छोड़ा होगा 
किसी पल में लगा अपना सा चेहरा कभी अनजान हुआ होगा  
हर पल को संजो लेना राही सबको अपना तू कह लेना 
मिलने की बात चाहे न हो पर यादों में तंग ना होना 

बदलेगा वक़्त बदलेगी फिज़ा समझ ना एक सी होगी
पल में बुरा अच्छा लगेगा अच्छे की हर पल परख होगी 
न याद रहेगा कल का खाया, क्या पाया ना उसकी समझ होगी 
मानो तो मन से उजला हर कोई, पर छाया सभी की काली होगी 
कुछ आए कुछ लाए  जीवन में, सब के सब हैं खरा सोना 
मिलने की बात चाहे न हो पर यादों में तंग ना होना

मन का भेद यह मन ही जाने जो इक रस्ते रहता नहीं 
कुछ माँगू कुछ चाहे हर पल कुछ से ध्यान तो हटता नहीं 
पर देखे फिर भी इक नयनन से,इक भाव में स्थिर जब जो जाए 
अच्छे में सब अच्छा लागता वरना कुछ भी अच्छा नहीं 
संजोलो मुस्कान तुम हर पल की वरना यादों को ना ढ़ोना 
मिलने की बात चाहे न हो पर यादों में तंग ना होना




Tuesday, February 7, 2012

How do you see the move of social media sites removing content ?

The balance is always required; freedom without discipline, rights without responsibility, sword without kindness, intellect without purpose and so as other...

Social media is an easy mode to express your views, and to insult somebody is another not expression. Where government unable to cope up with expression that government is weak and where the people don't know the way to express, the education is weak.

Weakness is either ruled by power or rules the others by domination. We are facing the both.

Nobody had dared to stop Gandhi for expression not of his courage but his mastery to open up many doors from every strong lock.

Suppression of seed in earth results in sprouting, resulted in many seeds. We all should do our role, suppressing is always temporary.

Every problem doesn't require the discussion but a solution towards the purpose...

...The Mindfood chef...