Wednesday, October 5, 2011

अश्रु

अब तो कहते नहीं अश्रु भी दिल का हाल, मुझे समझाने लगे हैं 
थम जाते हैं निगाहों में बहने की जगह,
"ह्रदय" जीवन का अक्स नए मायनों में दिखने लगे है

घुट जाता जब श्वास, उनके थमने से गले में 
मेरे जीवन में नव जीवन को जगाने लगे है
लोग जी लेते हैं इक जीवन ख़ुशी के गामी के लम्हों में 
यह थमते आंसू कुछ पलों में "ह्रदय" कईं जीवन दिखने लगे हैं

वहीं ओढ़ी होती है मोती चादर बड़े रुत्बोँ की ज़िन्दगी ने
वहीं कालीन रुसवाइयों के बिछाने लगे हैं 
रूकती नहीं नदियाँ अपनेपन की जहाँ पर
"ह्रदय" वहीं तनहाइयों के सागर लहराने लगे हैं
बैठा हूँ खामोश बेहरकत, वोह नज़ारे दिखने लगे हैं 
वो मन की स्याही से जाने, अनजाने चेहरे बनाने लगे हैं
"ह्रदय" जीवन का अक्स नए मायनों में दिखने लगे हैं


No comments:

Post a Comment