Sunday, September 5, 2010

सपनें

मेरे सपनों की ऊँचाई गगनोँ से नहीं
मेरे सपनों की गहराई सागर से नहीं
मेरे भावों में विचारों में "ह्रदय"
इक ख्वाईश पनपती रहती है

इक मधुर मुस्कान सब अधरों पर
यह छवि हर मानव की रहती है

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