जीतेंगे अब सब सपनें
सब सपनें अब हैं अपने
एक ताक़त एक हिम्मत
एक उज्जवल समाज बनायें
चलो दीप जलाएं
मंजिल में खुशियाँ सबकी
सबकी खुशियाँ है अब मंजिल
मन से मन
हाथों से हाथ मिलाएं
चलो दीप जलाएं
हर बुढ़ापे की लाठी होगी
हर भूखे को होगी रोटी
बच्चे बच्चे को होगी शिक्षा
हर हाथ तक काम पहुंचाएं
चलो दीप जलाएं
नम नयनों से यही है पूजा
ह्रदय शक्ति प्रभु से पाएं
हर सुबह हो रोशन सूर्य की किरनों से
हर अन्धयारी में दीप जलाएं
चलो दीप जलाएं
Saturday, June 5, 2010
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