Tuesday, November 27, 2012

मेरी ज़िन्दगी

मेरी ज़िन्दगी मेरी हकीकत से अलग चल रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है 

कभी बढ़ता हुआ वेग हिचकोलों संग डराता है 
कभी हौंसला चट्टानों से टकराता है 
है गहराई का पता नहीं चलता 
हर किनारा अजनबी हो जाता है 
अंधेरों में भी बढती रही है, 
सूर्य की किरणों संग चल रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है 

मेरी हकीकत मेरे सपनों में पलती है 
कर्मों की खेती में बीज सी फलती है 
आशा कोशिशों को संग में रखती है 
उत्साह और लगन के रंगों में रंगती है 
नयन, अश्रु और मन के सहारे 
मंजिलों पर टीकी रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है

सबक पिछले साथ सारे 
'हृदय' अनुभव नए हो रहे हैं 
सजगता, संयम, प्रकृति 
मन के विश्वास हो रहे हैं 
ज़िन्दगी आज कल का परिचय 
कल का परिचय लिख रही है 
हालात की यह किश्ती, समय की धारा में बढ रही है


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