बाबा मुझको बड़ा यूँ कर गए, यूँ बड़ा ना होना चाहता था
प्राणों में बसता था तुम्हारे, यूँ निष्प्राण ना होना चाहता था
थम जाता हूँ पग धरता मैं
गिरते को कौन अब थामेगा
करूँगा विस्मित किसको अब मैं
अब गर्व से कौन हर्षालेगा
भरे-पूरे मैं इस जीवन में, यूँ खाली ना होना चाहता था
प्राणों में बस्ता था तुम्हारे, यूँ निष्प्राण ना होना चाहता था
बंद हैं करली आँखें तुमने
पर बंद आंखों में रहते हो
जीवन के सब अर्थ - धर्म में
आदर्श तुम बनके रहते हो
'हृदय'निभाऊं फ़र्ज़ मैं सारे, पर यूँ ना निभाना चाहता था
प्राणों में बस्ता था तुम्हारे, यूँ निष्प्राण ना होना चाहता था