Thursday, September 5, 2013

बूंद

गिरी बूंद आकाश से
ले गयी नदी बहाए 
संग पाला प्रेम-चुनौती के 
'हृदय' सागर दिया बनाए 

 कभी सूरज के संग मोती भई 
कभी चन्दा संग चाँदनी छाई
हर करवट संग बढती गयी 
बन सागर मैं हर्शायी 
मैं बूंद नमूं उस गुरु को, जो नदिया रूप हो आये 
संग पाला प्रेम-चुनौती के,'हृदय' सागर दिया बनाए

Friday, April 12, 2013

जीवन है जीवंत होगा

जीवन है जीवंत होगा 
सुखमय - दुखमय अनंत होगा 

तन है तो छाया भी होगी 
हर छाया से तन, सीमंत होगा 
जीवन है जीवंत होगा 

आशा-निराशा, सर्दी-गर्मी 
इर्ष्या - श्रय बेअन्त होगा 
जीवन है जीवंत होगा 

जीवन-मृत्यु, लाभ-हानि 
विषयों विचारों में परतंत्र होगा 
जीवन है जीवंत होगा 

सुगंध से ही पुष्प बनेगा 
सुगंध के कारण ही अंत होगा
जीवन है जीवंत होगा

सच और माया बंधे एक ज्ञान से 
हृदय ऊपर उठकर ही संत होगा
जीवन है जीवंत होगा